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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), जो कि भारत में मानकीकरण, प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण का शीर्ष निकाय है, उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और गुणवत्ता वाली वस्तुओं को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। BIS एक राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में कार्य करता है और इसकी स्थापना 1986 में BIS अधिनियम के तहत की गई थी।

BIS के मुख्य कार्य:

  1. मानकीकरण - BIS विभिन्न उत्पादों, प्रक्रियाओं, और सेवाओं के लिए मानकों को विकसित करता है। इन मानकों का उद्देश्य उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा, और दक्षता को सुनिश्चित करना है।
  2. प्रमाणन - BIS प्रमाणन योजना के तहत, उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का आश्वासन दिया जाता है। BIS का "ISI" मार्क प्रमाणित उत्पादों की पहचान के रूप में कार्य करता है।
  3. प्रयोगशाला परीक्षण - BIS के पास अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं, जो उत्पादों के परीक्षण और प्रमाणन में मदद करती हैं। ये प्रयोगशालाएं उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा, और प्रदर्शन का मूल्यांकन करती हैं।
  4. ग्राहक सेवा और जागरूकता - BIS उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी कार्य करता है। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण, जागरूकता कार्यक्रम और अन्य सेवाएं इस दिशा में कदम हैं।

BIS के लाभ:

  • उपभोक्ता संरक्षण - BIS के मानक उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
  • उद्योगों के लिए दिशा-निर्देश - BIS मानकों का अनुपालन करना उद्योगों के लिए अनिवार्य है, जिससे उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता - BIS के मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य रखते हैं, जिससे भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजारों में पहचान मिलती है।

BIS में सदस्यता और प्रमाणन कैसे प्राप्त करें:

अगर आप एक उद्यमी हैं और अपने उत्पादों के लिए BIS प्रमाणन प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको BIS की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा। प्रमाणन प्रक्रिया में आवेदन की समीक्षा, निरीक्षण, और परीक्षण शामिल हैं। एक बार सभी मानदंड पूरे हो जाने पर, आपको BIS का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।