पटना उच्च न्यायालय, बिहार

पटना उच्च न्यायालय बिहार राज्य का प्रमुख न्यायिक संस्थान है। यह अदालत राज्य की उच्चतम न्यायिक संस्था है और इसका मुख्यालय पटना में स्थित है। इस न्यायालय की स्थापना 3 फरवरी, 1916 को की गई थी।

इतिहास :- पटना उच्च न्यायालय की स्थापना भारत सरकार अधिनियम, 1915 के अंतर्गत की गई थी। इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एडवर्ड मायल्स इमपेय थे। इस न्यायालय का उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने किया था।

संरचना :- पटना उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होते हैं जिनकी संख्या समय-समय पर बढ़ती या घटती रहती है। न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

क्षेत्राधिकार :- इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार बिहार राज्य के सभी जिलों तक फैला हुआ है। यह अदालत विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नागरिक, आपराधिक, संवैधानिक और अन्य मामलों शामिल हैं। उच्च न्यायालय के पास विभिन्न प्रकार की याचिकाएं दायर की जा सकती हैं जैसे रिट याचिका, अपील, पुनर्विचार याचिका आदि।

प्रक्रियाएँ :- न्यायालय में मामलों की सुनवाई खुली अदालत में होती है, जहां वकील अपने मुवक्किल की ओर से दलीलें प्रस्तुत करते हैं। मामलों का निर्णय संविधान और कानूनों के अनुरूप किया जाता है।

प्रसिद्ध मामले:- पटना उच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की है, जिनमें कई मामलों ने भारतीय न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण नजीरें पेश की हैं।

सार्वजनिक सेवाएँ :- यह न्यायालय जनहित याचिकाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों के हितों की रक्षा करने में भी सक्रिय भूमिका निभाता है।  पटना उच्च न्यायालय न केवल बिहार राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण न्यायिक संस्थान है, जिसने न्यायिक प्रणाली में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना रखा है।